प्रसिद्ध रचना
विषय : एआई और सिनेमा – रचनात्मक संभावनाओं और नैतिक सीमाओं के बीच
सत्र के बारे मे : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) फिल्म निर्माण के हर चरण को बदल रही है — पटकथा लेखन और कास्टिंग से लेकर वीएफएक्स और डिस्ट्रीब्यूशन तक। यह पैनल इस पर चर्चा करेगा कि क्या एआई एक ऐसा सशक्त उपकरण है जो रचनात्मकता और कार्यकुशलता को बढ़ाता है, या एक विघटनकारी शक्ति जो कलात्मक विविधता को सीमित कर मानवीय प्रतिभा को विस्थापित कर सकती है।
सत्र के बारे में : भारत आकर्षक प्रोत्साहनों, कुशल प्रतिभा और विविध लोकेशनों के साथ स्वयं को एक वैश्विक प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित कर रहा है। यह पैनल सरकारी सहयोग, सिंगल-विंडो क्लीयरेंस प्रणाली, और उन अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं के लिए को-प्रोडक्शन अवसरों पर प्रकाश डालता है जो भारत में शूटिंग और सहयोग करना चाहते हैं।
विषय : पैन-इंडियन से पैन-वर्ल्ड सिनेमा तक का उदय
सत्र के बारे में : दक्षिण भारतीय फिल्मों और अन्य क्षेत्रीय फिल्म उद्योगों ने “पैन-इंडियन” सिनेमा की अवधारणा को आगे बढ़ाया है। अब इनका प्रभाव वैश्विक दर्शकों तक पहुँच रहा है। यह सत्र भारतीय फिल्मों की अंतरराष्ट्रीय सफलता, वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीतियाँ, और “पैन-वर्ल्ड” कहानी कहने की दिशा में हो रहे परिवर्तन पर चर्चा करेगा।
प्रसिद्ध रचना
विषय : एआई और सिनेमा – रचनात्मक संभावनाओं और नैतिक सीमाओं के बीच
सत्र के बारे मे : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) फिल्म निर्माण के हर चरण को बदल रही है — पटकथा लेखन और कास्टिंग से लेकर वीएफएक्स और डिस्ट्रीब्यूशन तक। यह पैनल इस पर चर्चा करेगा कि क्या एआई एक ऐसा सशक्त उपकरण है जो रचनात्मकता और कार्यकुशलता को बढ़ाता है, या एक विघटनकारी शक्ति जो कलात्मक विविधता को सीमित कर मानवीय प्रतिभा को विस्थापित कर सकती है।
सत्र के बारे में : भारत आकर्षक प्रोत्साहनों, कुशल प्रतिभा और विविध लोकेशनों के साथ स्वयं को एक वैश्विक प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित कर रहा है। यह पैनल सरकारी सहयोग, सिंगल-विंडो क्लीयरेंस प्रणाली, और उन अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं के लिए को-प्रोडक्शन अवसरों पर प्रकाश डालता है जो भारत में शूटिंग और सहयोग करना चाहते हैं।
विषय : पैन-इंडियन से पैन-वर्ल्ड सिनेमा तक का उदय
सत्र के बारे में : दक्षिण भारतीय फिल्मों और अन्य क्षेत्रीय फिल्म उद्योगों ने “पैन-इंडियन” सिनेमा की अवधारणा को आगे बढ़ाया है। अब इनका प्रभाव वैश्विक दर्शकों तक पहुँच रहा है। यह सत्र भारतीय फिल्मों की अंतरराष्ट्रीय सफलता, वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीतियाँ, और “पैन-वर्ल्ड” कहानी कहने की दिशा में हो रहे परिवर्तन पर चर्चा करेगा।